एक कुनू और एक अमु
दिनभर करती है मनमानी
खूब लगाती दोनों गप्पें
जब आ जाती विडियो कौल पे
मोबाइल कहीं - वो दोनों कहीं
अपने अपने खेल हैं खेलती
बीच-बीच में आश्वस्त होने को
एक दूजे को आवाज हैं देती ।
मध्यांतर में अचानक
थोड़ी शैतानी
थोड़ी बेईमानी संग
होती है घनघोर लड़ाई
मुंह फुलाकर एक दूजे से
भौंहे तानके चेहरे पर
दोनों बन जातीं मासूम !
आना पड़ता है फिर बड़ों को
समझाइश की छड़ी लिए
किसकी कितनी गलती है
होता उसका सही हिसाब है
ना,ना करते करते दोनों
कर लेती फिर सब स्वीकार हैं ।
फिर बजता है फोन
शुरू होता है खेल नया
सारे खेल के बीच
एलेक्सा को पड़ती है डांट भी जमकर ।
सच में जो कहीं बैठी होती एलेक्सा
तो बड़े जोर से चिल्लाती,
हर आदेश को झटककर नीचे
लम्बी चुप्पी साध ही लेती !
रश्मि प्रभा