गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

कुनू जुनू ..... गुटुक !




ये बनाया मैंने बांहों का घेरा
दुआओं का घेरा
खिलखिलाती नदियों की कलकल का घेरा
मींच ली हैं मैंने अपनी आँखें
कुछ नहीं दिख रहा
कौन आया कौन आया
अले ये तो मेली ज़िन्दगी है ...

ये है रोटी , ये है दाल
ये है सब्जी और मुर्गे की टांग
साथ में मस्त गाजर का हलवा
बन गया कौर
मींच ली हैं आँखें
कौन खाया कौन खाया
बोलो बोलो

नहीं आई हँसी
तो करते हैं अट्टा पट्टा
हाथ बढ़ाओ .....
ये रही गुदगुदी
कौन हँसा कौन हँसा
बोलो बोलो बोलो बोलो
जल्दी बोलो
मींच ली हैं आँखें मैंने
गले लग जाओ मेरे
और ये कौर हुआ - गुटुक !

शनिवार, 10 दिसंबर 2016

कुनू जुनू ने सूरज से कहा




सूरज चाचू 
तुम्हें ठंड नहीं लगती क्या ?
इतना घना कुहरा 
कोहरे में तुम 
कोई गर्म कपड़ा 
क्यूँ नहीं पहन लेते ?
तुम्हारी मम्मा 
तुम्हें नहीं समझाती क्या ?
कम से कम इन कोहरों को डाँटे 
"अरे, भागो यहाँ से" 
... 
बैठो न सूरज चाचू हमारे पास 
दूध 
एज घूँट चाय 
एक टुकड़ा रोटी का देंगे हम 
अपने खिलौनों से खेलने देंगे हम 
अपना कम्बल भी उढ़ायेंगे 
... 
एक बात बताओ 
तुम कभी थकते नहीं क्या ?
निकलते हो,
अस्त होते हो 
फिर कहीं और निकल जाते हो 
आओ,
ज़रा सा आराम कर लो 
हमारे संग हाथ मिलाओ 
छुप्पाछुप्पी खेलो 
हमारे हिस्से की लोरी सुनके 
गहरी नींद सो जाओ  ... 

शनिवार, 3 दिसंबर 2016

सीधी सी बात है कुनू जुनू




आशीर्वाद कभी व्यर्थ नहीं जाता
भले ही वह बेमन से दिया गया हो
लेकिन वह ले लेता है ॐ की आकृति
जीवन के हर कदम पर
करता है शंखनाद
और अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाता है  ...
इसलिए चरण छूना
हाथ जोड़ना
अपने संस्कारों की तिजोरी में रखना
सामनेवाला क्या है
इससे अपने को प्रभावित मत करना  ...

पूर्व से उदित सूर्य
पश्चिम में अस्त होता है
कोई नमन करे
ना करे
वह अपनी परंपरा नहीं बदलता
ग्रहण हो
या बादलों का घना साया
वह अपनी प्रकृति नहीं बदलता
और इसीमें
उसकी गरिमा है
उसका अस्तित्व है  ...

हमारी प्रकृति
हमारी गरिमा
ईश्वरीय देन है
कोई कीचड़ उछाल दे
तो मन क्षुब्ध होता है
लेकिन अपना स्वभाव
बुद्धि और विवेक का काम करता है  ...

इसका अर्थ यह नहीं
कि तुम कीचड़ को सर माथे लगाओ
हाँ,
उसके मध्य से कमल लाने के लिए
तुम्हें संतुलित क़दमों से ही चलना होगा
....
सीधी सी बात है
कीचड़ तुम्हारे संतुलन से
अपना स्वभाव नहीं बदलता
फिर तुम उसकी वजह से
उसकी श्रेणी में क्यूँ आओ !
तर्क स्वस्थ मानसिकता का प्रतीक है
कुतर्क अस्वस्थ मानसिकता का
तुम्हें तय करना है
तुम स्वस्थ रहना चाहते हो
या व्यर्थ की बातों में समय गँवाकर
स्वस्थ होकर भी खुद को बीमार रखना !!

क्षणांश के लिए
मन की उद्विग्नता स्वाभाविक है
पर अपने "मैं" पर
यानि अपने भीतर की अलौकिक शक्ति पर
ध्यान केंद्रित करना
कुछ समय चुप रह जाना
तुम्हें रास्तों का विकल्प देगा
तुम्हारे हाथों में सही चाभी देकर
तुम्हें सुरक्षित रखेगा।