शनिवार, 8 दिसंबर 2018

दुआ है, यह सबकुछ तुमलोगों के पिटारे में हमेशा हमेशा रहे ...



मेरे पास है तो एक जादुई छड़ी,मैं बना सकती हूँ इस दुनिया को सिंड्रेला की बघ्घी जैसा, जहाँ शेर,चीते,भालू,बन्दर,गिलहरी...सब तुमसे बातें करेंगे,तुमको जंगल की सैर कराएंगे,चंदामामा धरती पर उतरकर तुम्हारे संग आंखमिचौली खेलेंगे,सूरज चाचू अपने गर्म तवे पर रोटी बनायेंगे,और चंदामामा की माँ अपने हाथों तुम्हें खिलाएंगी । 
लेकिन, तुम्हारी झोली में इससे अधिक प्यारे जादू हैं, माँ-पापा,बुआ,मौसी,मामा ...और गर्म तवे पर रोटी बनाने के लिए नानी-दादी । शेर,खरगोश,भालू,बन्दर,गिलहरी तो इनकी कहानियों में रोज खड़े रहते हैं यह कहने को कि "बोलो मेरे आका,क्या खेलना है, कहाँ खेलना है" ।असली जादू इसे नहीं कहते,असली जादू है अपना घर, जहाँ भूखे रहकर भी जादू देखने को मिलता है । इसमें होता है प्यार और सम्मान ।यह न हो तो कोई सपना नहीं ठहरेगा, ना ही कोई जादू । और यह जादू होता है पापा,माँ की सुरक्षा में,नानी/दादी के बिगाड़ते प्यार में (ऐसा कहा जाता है)और पूरे दिन की छोटी छोटी खुशियों में । और मेरी दुआ है, यह सबकुछ तुमलोगों के पिटारे में हमेशा हमेशा रहे ...