शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

आमीन



बच्चे की नींद
उसकी करवटों में,
उसकी कुनमुनाहट में,
उसके सुबक कर रोने में
एक माँ सिर्फ लोरी नहीं बनती,
हो जाती है सम्पूर्ण भागवत गीता ।
समय जो अनुभव देता है,
उसे नजरबट्टू की तरह
उसके रोम रोम से बांध देती है,
ताकि जो आँसू वजह-बेवजह
माँ की आँखों से बहे हैं,
वह भूले से भी बच्चे की आँखों में ना उतरें ...
पर,
जैसे जैसे वह चलना सीखता है,
माँ मन ही मन कहती है,
मैं हूँ तुम्हारे साथ,
लेकिन मेरी ऊँगली छोड़कर,
तुम्हें चलना होगा,
ताकि तुम कभी कहीं गिरो
क्योंकि,
बिना गिरे तुम उठना कैसे सीख पाओगे,
चोट नहीं लगी,
तो दूसरों का दर्द कैसे जानोगे !
जब तक मार्ग अवरुद्ध नहीं होंगे,
तब तक तुम अपने बल पर
कोई भी रास्ता नहीं ढूंढ पाओगे ।
इसलिए, आगे बढ़ो
मेरी दुआओं का कवच,
हमेशा तुम्हारे साथ
तुम्हारा हौसला बनेगा,
मैं कहीं भी रहूँ,
रहूँ या ना रहूँ
मैं हूँ तुम्हारे पास
- यह गहरा विश्वास
तुम्हें हमेशा विजयी बनाये ।
आमीन