सोमवार, 22 जनवरी 2018

मीठी बातों से कभी मत बचना




मीठी बातों से कभी मत बचना 
मीठी बातें जब नश्तर बन चुभती हैं 
तभी 
अनुभव के 
आत्ममंथन के 
दरवाज़े खुलते हैं !
और 
जब तक वे दरवाज़े नहीं खुलते 
तुम जो जीते हो 
वह बस एक बचकाना खेल है !
बचपन को पास रखो 
लेकिन हाँ
बचपना मत दिखाओ 
... 
निःसंदेह,
मीठी बातें मन को सहलाती हैं 
लोरी सी लगती हैं
पर
अजीबोगरीब हालात वहीं से बनते हैं 
मीठी बातें हद से अधिक हो
तो जीने का सही सलीका नहीं आता
सिर्फ मीठा खाओ
तो दांत सड़ जाते हैं 
तालमेल बहुत ज़रूरी है
सीखने के लिए
कुछ बनने के लिए
तीखे बोल रामबाण होते हैं
मुमकिन है 
आज बुरा लगे
लेकिन समय के साथ 
उसकी बारीकियाँ मुस्कान दे जाती हैं