ज़माना - कभी एक सा नहीं रहता मेरी परियों,
बदलता रहता है !
मौसम बदलता है,
घर बदलता है,
शहर, देश ...
परिवर्तन एक स्वाभाविक क्रिया है।
महत्वपूर्ण बात यह है
कि ,
परिवर्तन कैसा है !
सब अपना रहे,
यह सोचकर,
तुम भी मत अपना लेना।
देखना,विचारना,
अपने आप को तौलना,
बात को तौलना,
फिर उसे स्वीकार,
अस्वीकार करना ...
किसी भी बहाव में,
अपने अस्तित्व को मत नकारना,
गुरु के अस्तित्व को मत नकारना,
बुज़ुर्गों के अस्तित्व को मत नकारना ...
"मातु पिता गुरु प्रभु के बानी।
बिनहिं बिचार करिअ सुभ जानी॥"
परिवर्तन जैसा भी हो,
इसे मत भूलना
अपनी जड़ों से विमुख मत होना !
परिवर्तन जीवन का अंग है। सार्थकता बनी रहे यही जरूरी है। सुन्दर सन्देश।
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