गुरुवार, 23 नवंबर 2017

सुनो कुनू अमु सुनो




कुनू कुनू अमु अमु
तुम हो मेरी जान
मैं तुमपे कुर्बान ...
तितली सी जब उड़ती हो
मैं भी बन जाती हूँ तितली
जंगल के राजा को पकड़ के
देखो लाती है नानी दादी
हाथी कहता है
कहाँ है कुनू
बोलो कहाँ है अमु
बिठाओ उनको मेरी पीठ पे
सैर कराऊँ
उनकी शान बढाऊँ
इनदोनों परियों को खूब घुमाउँ  ...
चालाक लोमड़ी
भागके छुप जाती है
समझ गई है
कुनू अमु के आगे
नहीं चलेगी उसकी चालाकी
कोयल सुनाती है मीठे मीठे गीत
कहती है ये दोनों मेरी सहेली !
तुमदोनों जब मुझसे लिपट लिपटकर
मुझको बुलाती हो
मेरी आँखें
खुशी के मारे
ध्रुवतारा बन जाती हैं
ओ मेरी कुनू
ओ मेरी अमु
तुझपे कुर्बान
है मेरी जान :)

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