मीठी बातों से कभी मत बचना
मीठी बातें जब नश्तर बन चुभती हैं
तभी
अनुभव के
आत्ममंथन के
दरवाज़े खुलते हैं !
और
जब तक वे दरवाज़े नहीं खुलते
तुम जो जीते हो
वह बस एक बचकाना खेल है !
बचपन को पास रखो
लेकिन हाँ
बचपना मत दिखाओ
...
निःसंदेह,
मीठी बातें मन को सहलाती हैं
लोरी सी लगती हैं
पर
अजीबोगरीब हालात वहीं से बनते हैं
मीठी बातें हद से अधिक हो
तो जीने का सही सलीका नहीं आता
सिर्फ मीठा खाओ
तो दांत सड़ जाते हैं
तालमेल बहुत ज़रूरी है
सीखने के लिए
कुछ बनने के लिए
तीखे बोल रामबाण होते हैं
मुमकिन है
आज बुरा लगे
लेकिन समय के साथ
उसकी बारीकियाँ मुस्कान दे जाती हैं