दोस्त बनाना
मीठी बोली बोलना
पर,
गहरी दोस्ती करते हुए याद रखना
एक दोस्त मिले
तो तुम खुशनसीब हो
दो तो बहुत है ... ...
... तीसरा कभी मिल ही नहीं सकता !
ना,ना - तर्क मत करना
कोई प्रश्न नहीं
चलते हुए
तुम्हें खुद ब खुद
सारे जवाब मिल जाएँगे ... !
बहुत सारे प्रश्नों का कोई जवाब नहीं होता
होते हैं उनके
अपने अनुभव
और तभी व्यक्ति स्वीकार भी करता है
जीवन का सत्य
जीवन ही बताता है !
खैर,
प्रकृति से तुम ज़रूर दोस्ती करना
उसके पास सौन्दर्य है
रहस्य है
प्रतिध्वनियाँ हैं
पर्वतों की ऊँचाई
घाटियों का घुमाव
नदी का अथाह जल
खाई
सुरंग
भिन्न भिन्न वृक्ष
अद्भुत लतायें
जिज्ञासु विस्तार ...
...
कौतुहल न हो
चिड़ियों का सरगम न हो
तो मन लक्ष्यभेद नहीं कर पाता
और ज़रूरी है
कि तुम आत्मसात करो
हर व्यक्तिविशेष की खूबी
सीखो परशुराम से
कुछ राम से
कुछ विभीषण से
कुछ शबरी से
सीता से
यशोधरा से
राहुल से
बुद्ध से
सीखो तुम भीष्म से
विदुर से
अर्जुन से
कर्ण से
दुआ है -
मिले तुम्हें संजय की दृष्टि
तुम देख सको आगत
जो निर्णय लेने में साथ दे
...
सीखने के लिए
विष और अमृत
दोनों के असर को समझना
तभी
हाँ तभी
तुम्हें सही दोस्त मिलेगा
...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें