कुछ लोग पढ़ते हैं, कुछ लोग रट लेते हैं ... रट लेने से उसे हूबहू कॉपी पर उतार देने से नंबर तो मिल जाते हैं, लेकिन जीवन में वह काम नहीं आता।
और रटा हुआ कुछ भी बीच से भूल गए तो समझो सबकुछ भूल गए। जो सीख जीवन में काम न आ सके, तो यूँ ही उसे कहने से क्या फायदा !
चलो एक कहानी से इसे समझो -
तोता रट
एक बार एक साधु ने अपनी कुटिया में कुछ तोते पाल रखे थे। सभी तोते को अपनी सुरक्षा के लिए एक गीत सीखा रक्खा था ।
गीत कुछ इस तरह था कि
‘शिकारी आएगा
जाल बिछाएगा
दाना डालेगा
पर हम नहीं जाएंगे’
एक दिन साधु भिक्षा मांगने के लिए पास के एक गांव में गए ।
इसी बीच एक बहेलिया ने देखा एक पेड़ पर तोते बैठे हैं उसे उन पक्षियों को देख उसे लालच हुआ उसने उन सभी तोते को पकड़ने की योजना बनाने लगा ।
तभी तोते एक साथ गाने लगे
शिकारी आएगा
जाल बिछाएगा
दाना डालेगा
पर हम नहीं जाएंगे । बहेलिया ने जब यह सुना तो आश्चर्यचकित रह गया
उसने इतने समझदार तोते कहीं देखें ही नहीं थे,
उसने सोचा इन्हे पकड़ना असंभव हैं ये तो प्रशिक्षित तोते लगते हैं ।
बहेलिया को नींद आ रही थी उसने उसी पेड़ के नीचे अपनी जाल में कुछ अमरूद के टुकड़े डाल कर सो गया,
सोचा कि संभवतः कोई लालची और बुद्धू तोता फंस जाएं ।
कुछ समय बाद जब वह सोकर उठा तो देखा कि सारे तोते एक साथ गा रहे थे
शिकारी आएगा
जाल बिछाएगा
दाना डालेगा
पर हम नहीं जाएंगे ।
पर वह यह गीत जाल के अंदर गा रहे थे।
शिकारी उन सब बुद्धू तोते की हाल देख हंस पड़ा और सब को पकड़ कर ले गया ।
किसी भी ज्ञान को रटने की बजाय उसे समझने पर बल देना चाहिए ।
क्योंकि रटा हुआ ज्ञान किसी काम का नहीं होता
तो तुमदोनों हमेशा बुद्धि और विवेक से काम लेना, जो कुछ माँ-पापा सिखायें ,उसे सीखना - रटना मत और बुद्धि-विवेक से तू तू मैं मैं मत करना
हम सब भी तो इसी तरह के तोते हैं पर मानते नहीं हैं :)
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