गुरुवार, 22 जून 2017

कल्पना करो




कल्पना करो
....
देश की बागडोर
एक दिन तुम्हारे हाथ में होगी
सूरज तुम्हारी मुट्ठी में होगा
तब यह सूरज
कहाँ कहाँ रखोगे ?
जब अधिक झुलसाए उसकी आग
तो बादल को कैसे बुलाओगे
सम स्थिति पर
धरती को कैसे रखोगे !

शांत मन से
कल्पना करो
मानो
हर कदम में एक जादू है
बस उसे बढ़ाने की देर है
कुछ ठोकरों के कमाल होंगे
फिर तुम दृढ होंगे

प्रकृति ने जो कुछ हमें दिया है
वह हमारी आत्मशक्ति बढ़ाने का
उत्कृष्ट माध्यम है
सूरज
चाँद
बादल
हवा
रिमझिम बारिश
नदी-नाले
पर्वत-रेगिस्तान
कंकड़, रेत
हर छोर में ज्ञान है
एकांत में अपनी प्रतिध्वनि सुनो
तुम्हारी हर कल्पना में
गुरु मिलेंगे
जीवन का विस्तृत क्षेत्र
तुम्हारे लिए गुरुकुल होगा
दूब से लेकर शून्य तक
कल्पना करते जाओ
यही बहुत है
सबकुछ है
:)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें