मंगलवार, 6 जून 2017

नन्हे पैरों के नाम.......




अम्मा की विरासत है यह नन्हें पैरों के नाम
......
हम प्रायः यही सोचते हैं कि वसीयत होती है आर्थिक सम्पत्ति की
हम नहीं समझते समय रहते कि इस सम्पत्ति से हमारे बीच दीवारें खड़ी होती हैं
हम हिंसक प्रवृति के हो जाते हैं
लेकिन शब्दों की थाती
वह भी वो
जो लिख दी गई हो
बाँटी नहीं जा सकती
अपनी मर्ज़ी से
वह अपने साथ होती है
जैसे अम्मा की सौगात मैं अपनी मर्ज़ी से तुमदोनों को दे रही हूँ
इसे गुनगुनाना
इसे संभालना
तुमदोनों की मर्ज़ी  ...
यह किसी एक के लिए नहीं,
सभी नन्हें पैरों के नाम है



( १ )

हम हैं मोर,हम हैं मोर
कूदेंगे , इतरायेंगे -
पंखों का साज बजायेंगे,
आपका मन बहलाएँगे ।
हम है मोर,हम हैं मोर
नभ में बादल छाएंगे,
हम छम-छम नाच दिखायेंगे
आपको नाच सिखायेंगे ।
हम हैं गीत,हम हैं गीत
दरिया के पानी का
मौसम की रवानी का
आपको गाना सिखायेंगे ।
हम हैं धूप,हम हैं छांव
आगे बढ़ते जायेंगे
कभी नहीं घबराएंगे
आपको जीना सिखायेंगे ।


( २ )

मैं हूँ एक परी
और मेरा प्यारा नाम है गुल
गर चाहूँ तो तुंरत बना दूँ
शूल को भी मैं फूल !
चाहूँ तो पल में बिखेर दूँ
हीरे,मोती ,सोना
पर इनको संजोने में तुम
अपना समय न खोना !
अपना ' स्व ' सबकुछ होता है
' स्व' की रक्षा करना
प्यार ही जीवन-मूलमंत्र है
प्यार सभी को करना !


( ३ )

मैं हूँ रंग-बिरंगी तितली
सुनिए आप कहानी,
मैं हूँ सुंदर,मैं हूँ कोमल
मैं हूँ बड़ी सयानी
इधर-उधर मैं उड़ती - फिरती ,
करती हूँ मनमानी ! मैं हूँ.................
फूलों का रस पीती हूँ
मस्ती में मैं जीती हूँ
रस पीकर उड़ जाती हूँ
हाथ नहीं मैं आती हूँ !
मैं हूँ रंग-बिरंगी तितली........


( ४ )

बिल्ली मौसी,बिल्ली मौसी
कहो कहाँ से आती हो
घर-घर जाकर चुपके-चुपके
कितना माल उडाती हो ।
नहीं सोचना तुम्हे देखकर
मैं तुमसे डर जाती हूँ
म्याऊं- म्याऊं सुनकर तेरी
अन्दर से घबराती हूँ !
चाह यही है मेरी मौसी
जल्दी तुमसे कर लूँ मेल
फिर हमदोनों भाग-दौड़ कर
लुकाछिपी का करेंगे खेल !

 सरस्वती प्रसाद(अम्मा)

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