शनिवार, 1 अप्रैल 2017

कुछ न कुछ तो बदलेगा न ,,




सोचती हूँ
एक सूरज खरीद लूँ
अँधेरे में रास्ता ढूँढ लेंगे
हर कदम पर
सूरज रख देंगे  ...

खरीद लाऊँ एक चाँद
कुछ सितारे
सिरहाने रखकर सोयेंगे
सपनों को उजाला देंगे

एक जादुई छड़ी भी ले लूँ
सबको परी बना देंगे
या फिर भोले को हाथी
काबुलीवाले को घर ले आएँगे

थोड़ी भक्ति
थोड़ा जज़्बा
थोड़ी विनम्रता
खरीद के ही सही
ले आएँगे
जो शहीद हो चुके हैं
उनकी कुर्बानी
याद करेंगे
सोने की चिड़िया हो जाए भारत"
यह आह्वान करेंगे।

एक सच्ची बात कहूँ
एक सूरज
एक चाँद,
कुछ सितारे
एक  जादू वाली छड़ी
थोड़ी भक्ति
थोड़ी विनम्रता
थोड़े जज़्बे की आग हमारे भीतर है
बस फूंक मारनी है
खुद को जीने का एहसास देना है
ताकि हौसले की चिंगारी
सामूहिक आग बने  ...

चलो
थोड़ा वक़्त
थोड़ी सीधी सोच
खरीद लें
कंदील की जगह टाँग दें
रौशन होगा घर
कुछ न कुछ तो बदलेगा न  ,,,


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