कोयल आई कुहू कुहू
बोली ये है कुनू कुनू
आई गौरैया
मटक मटककर
बोली ये है अमू अमू
नानी की है कुनू कुनू
दादी की है अमू अमू
कुनू गाये कुहू कुहू
अमू थिरके मटक मटक
नानी लेती है बलैया
दादी लेती है बलैया
थू थू करके नज़र उतारे
सर पर रखकर हाथ
लेती है ईश्वर का नाम ...
सूरज आता पूरब से
कहता है अपने रथ से
जागो कुनू
जागो अमू
सुबह हो गई
जागो जागो ...
खिलखिलाकर उठती कुनू
इठलाकर देखती अमू
सूरज दादा आ जाओ
करती इशारे कुनू अमू
ये है मेरी कुनू अमू
मेरी साँसें कुनू अमू
कुनू अमू
कुनू अमू
चिड़िया पुकारे कुनू अमू
तितली पुकारे कुनू अमू
बोलो बोलो टाइगर
मिलना है क्या कुनू अमू से
बोला धीरे से टाइगर
गुर्ररर
मिलना है
मिलना है
मैं अपनी मम्मा के साथ आ रहा हूँ
बोली हँसके कुनू अमू
come come
आ जाओ
जल्दी जल्दी आ जाओ ...
ऐ लायन ऐ लायन
मिलना है क्या कुनू अमू से
शेर दहाड़ा धीरे धीरे
और बोला
नई मिलना है नई मिलना है
मैं अपनी मम्मा के पास जा रहा हूँ
बोली हँसके कुनू अमू
go go go ...
अब रात हो गई
बात गई
चंदा नाना आ गए
मिट्ठी लेकर कुनू अमू को
बोले चंदा
गुड नाइट :)
सुन्दर।
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "उतना ही लो थाली में जो व्यर्थ न जाये नाली में “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबड़े प्यारे है कुनू-अमू और सुन्दर बाल रचना
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