रविवार, 23 अप्रैल 2017

कुछ तुम समझो, कुछ हम समझें ...




कुछ तुम कहो - कुछ हम कहें :)
लम्बी लम्बी अबूझ भाषा में ......
जिसे कुछ तुम समझो,
कुछ हम समझें
...
जीवन को
बातों को
एक दूसरे को थामकर
समझना होता है
लो तुम मेरी ऊँगली पकड़ो
मैं तुम्हें अपनी हथेलियों की पकड़ में रखती हूँ
मंज़िल पाने के लिए
साथ साथ चलना ज़रूरी होता है
जिसे कुछ तुम समझो,
कुछ हम समझें

बिना कहानी के
सपनों का घोड़ा नहीं दौड़ता
कुछ नया कर दिखाने की
सुरंग नहीं बनाता
तो एक कहानी मैं सुनाती हूँ
फिर तुम सुनाओ
यादों का मीठा झरोखा ऐसे ही बनता है
जिसे कुछ तुम समझो,
कुछ हम समझें
... 

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