शुक्रवार, 13 अप्रैल 2018

अपनी मिट्टी को समझना




मेरे बच्चों,

यकीनन मैं वह शक्ति हूँ
जिसके आगे
तुम अपनी मनोकामना रख सकते हो
लेकिन तुम्हें याद रखना होगा
कि बिना कर्तव्य निभाए
तुम कोई कामना नहीं कर सकते !
सोचो,
बिना आग के भोजन बना सकते हो ?
बिना साँसें लिए जी सकते हो ?
नहीं न  ...
इसलिए
बिना प्रयास के
मात्र चाह लेना
उचित नहीं होता।
कुछ भी पाने के लिए
सामर्थ्य बढ़ाना होता है
शक्ति के आगे
सिर्फ कमज़ोरी दिखाना
शक्ति का अपमान है
और शक्ति का अपमान
तुम्हारा ही अपमान है।
अपनी मिट्टी को समझो
यानी समझो अपने सामर्थ्य को
फिर उस शक्ति का आशीष लो
प्राप्य तुम्हारे आगे होगा  ...

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