मंगलवार, 3 अप्रैल 2018

गिरके ही सम्भलना सीखोगे




चढ़ना उन सफलताओं की सीढ़ियों पर
जो हम बड़ों से छूट गए थे !
लड़खड़ाओ कभी
गिरो कभी
तो घबराना मत
रोना मत
क्योंकि लड़खड़ा के
गिरके ही
सम्भलना सीखोगे
अनुभव ही जीवन के तरकश का
सिद्ध बाण होता है !
इस बाण का उपयोग धैर्य से करना
जब भी कोई रुकावट लगे
अपनेआप को अंदर से तौलना
अपने कदम ही कई बार गलत होते हैं
इसे सरलता से मानना
ज़िद ठानने से पहले
सौ बार सोचना
ज़िन्दगी तुम्हारी है
इसे मर्ज़ी से जीना
पर इस ज़िन्दगी से जुड़े जो तार हैं
उनका भी ख्याल रखना
फिर गौर करना
कि मर्ज़ी को परियों के पंख कैसे मिलते हैं
आकाश कैसे नीचे उतरता है
सूरज अपनी जलन को समेटकर
किस तरह शीतलता देता है !

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