हम मिलते हैं
तो हमेशा के लिए साथ क्यूँ नहीं रहते ?
कभी कुनू चली जाती है
कभी अम्मू नानी
कभी अमू यानी हमारी जुनू ...
हाँ
कुनू को छोड़कर
पहले अम्मू नानी गई
फिर कुनू आई और गई
अमू तो हर बार टाटा बाय बाय कर जाती है !
उसके बाद
फिर हम एक छोटे से मोबाइल में
एक दूसरे को पकड़ने की कोशिश करते हैं
... ये भी कोई बात है !
चलो एक मिश्री वाला महल बनाते हैं
थोड़ी थोड़ी मिश्री खाते हुए
छुप्पा छुप्पी खेलेंगे
मिठास पर सोयेंगे
मीठे मीठे सपने देखेंगे ...
हमलोग साफ़ साफ़ पापा,मम्मा से विनती करेंगे
कि एक घर में नानी/दादी के साथ कुनू अमू को रख दिया जाए
और एक कामवाली बाई काम के लिए !
जहाँ हम, हमारे चंदा मामा होंगे
होगी मस्त मस्त सी मासूम परियाँ
चंदामामा की भी अम्मा होंगी
कुछ सितारे कुछ तितलियाँ
कुछ गिलहरियाँ
कुछ खरगोश ...
कहो कुनू अमू
क्या ख्याल है ?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें