बुधवार, 18 जनवरी 2017

कुनू है जुनू है ... अब और क्या है सरगम :)




जानती हो कुनू जुनू - जुनू यानी अमू
नानी/दादी बनते ही बिना संगीत शिक्षा के मुझे सात सुर मिल गए
 जिसके लिए गीत की पंक्तियाँ गूंजती हैं,
"बड़ा ज़ोर है सात सुरों में,बहते आँसू जाते थम  ..."
तुमलोगों के चेहरे से शबनम टपकती है
मेरे तपते दिल को सुकून मिलता है :)
 अब और क्या है सरगम !

कितनी भी थकान हो
छुप्पाछुप्पी तुमदोनों के संग खेलना
जलतरंग सी खिलखिलाहट में भीगना
पूरी ताज़गी दे जाती है।
मुझे एहसास होता है
मैं कोई जादू की गुड़िया हूँ
थोड़ा झूमकर
थोड़ा मटककर
मैं हर ख़ुशियाँ ला सकती हूँ
टिप टिप टिप टिप आँखों को मटकाकर
तुम्हारे लिए कह सकती हूँ
"खुल जा सिम सिम "
तुम देखना मेरे प्यार का कमाल
यकीनन,
एक दिन खुल जायगी वह गुफा
उसमें से हीरे जवाहरातों की कौन कहे
निकलेगी सिन्ड्रेला
जिनी
अलादीन का चिराग होगा तुम्हारे पास
चाँदनी तुम्हारा स्नान करेगी
चाँद की माँ देगी मंतर निराला
काबुलीवाला आएगा पिस्ता बादाम लेकर
 बस बेटा
 इन सबको याद रखना
भूलने से सबको दुःख होता है
ऐसी तकलीफ किसी को मत देना
सिंड्रेला सा मन रखना

......... बोलो हाँ :)

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